2023 New shayari collection

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 माँ❤️

बाजरों में घूमते हुए एक कोने पर नज़र मेरी पड़ी।

उदासियों से तपी हुई धूप में एक बूढ़ी माँ थी खड़ी।

नज़र पड़ी मेरे हाथ पर मेरी,दोपहर दो बजा रही थी घड़ी।

मैं जा पहुँचा वहीं समीप,जहां वो बूढ़ी मां थी खड़ी।

कहने लगी मुझसे वो माँ, जीवन मे है संकट की घड़ी।

बेटी थी मैं कभी अपने घर की सबसे बड़ी।

मैंने कहा आइए आपको सड़क उस पार कर देता हूँ।

मग़र वो वही खड़े रहने की ज़िद पर थी अड़ी।

हर रोज़ उस समय, बेटा उसका वहाँ से है गुजरता।

उसे देखने हर रोज़, वो माँ होती है वहाँ खड़ी।

खुशियों का देहांत करके उदासियों में एक माँ अपने बच्चों के लिए वहां खड़ी।

मेरी आँखों ने नमी भरी और महससू किया क्यों होती है माँ इस जगत में सबसे बड़ी!

#Abhiwrites❣

तोहफे में मिल रही यह जीत अस्वीकार है

खानदानी दुश्मनों की अब मुझे दरकार है

ऐसा दुश्मन चाहिए जिससे उलझकर यह लगे

यह लड़ाई जीतना सच में बहुत दुश्वार है

दुश्मनी में कद बराबर का न हो तो ऊँचा हो

घाव क्या देना उसे जो पहले से लाचार है

लड़ने के अपने नियम हैं, कायदे-कानून हैं

वह लड़ाई मत लड़ो जिसमें छिपी धिक्कार है

दुश्मनी वह दुश्मनी है जिसमें खुद को यह लगे

पड़ गये गर हम शिथिल तो हार के आसार है

दोस्ती के नाम पर खंजर उतारे पीठ में

ऐसी यारी को तहेदिल से मेरा आभार है

©® शुभम् शुक्ल ✍🏻

तुमसे मेरी दूरी का अंदाजा लगाया आज।

चांद औऱ पृथ्वी की दूरी को पाया आज।

उसे एक तरफ खड़े मुस्कुराते देखा एक तरफ़ ख़ुद को रोते पाया आज।

तुमसे मेरी दूरी का अंदाजा लगाया आज।

मैं भी बोलियाँ लगाने में आगे रहता था।बेबस खुद को पाया आज।

मैं रोक सकता था तुझे हर उस बार जब हम हुए अकेले।

बरसों बाद बात ये खुद को समझाया आज।

तुमसे मेरी दूरी का अंदाजा लगाया आज।

अब बात सिर्फ तेरी नहीं रही।

ख़ुद को तुझसे दूर बहुत दूर पाया आज।

मैं भी आईना देखने क़ाबिल नहीं।

जो अधूरा हो वही प्यारा होता ,खुद को ये समझाया आज।

तुमसे मेरी दूरी का अंदाजा लगाया ।

मैं रह पाया इस भरम में महज़ इस तरह।

कि मैंने दूर रहक़र तुझे पाया आज।

वक़्त की सुइयों ने मुझे बताया।

ज़िन्दगी का क्या क्या मैंने गवायां आज।

तुमसे मेरी दूरी का अंदाजा लगाया आज।

ख़ुद को तुझसे दूर बहुत दूर पाया आज।

#Abhiwrites❣

कभी वो मेरी इतनी दीवानी थी!

कि मेरे एक शब्द से उसकी रातों की नींद गायब होती थी!

आज मैं जगता हूँ, तुम्हें ये नींदे मुबारक!

कभी तुम मुझसे हर पल बात करने के बहाने ढूंढती थी!

आज मैं यहां आ गया हूँ कि बहाने से भी बात नही कर सकता !!

कभी तुम मुझे सांसो के करीब रखती थी!

आज मैं तुमसे दूरी का अंदाजा भी नही लगा सकता!

कभी तुम मुझे अपनी बाहों के अलावा कहीं सोने नही देती थी!

आज मैं अक़्सर मयखाने में ही सो जाता हूँ!

कभी तुम ये बदलाव सोच कर भी डर जाती थी!

आज मैं इस बदलाव के साथ जी रहा हूँ!

कभी मैं तुम्हारा ही तुम्हारा था!

आज तो मैं खुद का भी न बचा!!

💔

#Abhiwrites❣

अफवाहें है दिल टूटा तो खाना वाना छोड़ दिया।

सच है हमने नेह गेह में आना जाना छोड़ दिया।

जिनसे बातें करते करते पूरी रात गुजर जाती,

उनने अब बातें तो छोडो,फोन उठाना छोड़ दिया।

उसका कोई दोष नहीं है परिवर्तन का दौर है ये,

नया मिल गया होगा कोई,शौक पुराना छोड दिया।

स्वार्थ तुला पर रखकर रिश्ते कब तक तुलते,

हार गये तो थककर हमने जोड घटाना छोड़ दिया।

दुनियादारी ने जब से दी जिम्मेदारी बच्चे को,

दर्पण में खुद के चेहरे से ही बतियाना छोड दिया।

काफी लंबी सूची है उन तथाकथित हमदर्दों की,

जिनने बुरे वक्त में हमसे हाथ मिलाना छोड़ दिया।

शुभम् शुक्ल ✍️

कभी किसी रास्ते पर ऐसा जाऊं कि वापस न आऊं तो कैसा हो!

कभी मैं तुझे मिलने बुलाऊँ औऱ ख़ुद मिलने न आऊं तो कैसा हो!

कभी तुम्हें महफ़िल में ले जाऊं और ख़ुद महफ़िल में खो जाऊं तो कैसा हो।

कभी तुम्हें ख़ुद के लिए बेचैन बनाऊं और ख़ुद चैन से सो जाऊं तो कैसा हो।

कभी मैं ख़ुद को दिखाऊँ और तुम्हें तुमसे मिलाऊँ तो कैसा हो।

कभी तुम्हें ख़ुद को बेबस बताऊं और फिर बेपनाह प्यार जताऊं तो कैसा हो।

कभी तुम्हें अपनी मोहब्बत बताऊं और फिर मुकर जाऊं तो कैसा हो।

#Abhiwrites❣

मैं जानता था तू हमसफ़र न बन पाएगा।

मैं जानता था तू मुझे दुःख देकर मुस्कुरायेगा।

इश्क़ होता रहा बेबस हर घड़ी हर लम्हा।

मैं जानता था तू एक दिन मुझे छोड़ चला जाएगा।

होती रही बारिशें तड़पते आसमानों से।

मैं जानता था तू हर बारिश में खुलेआम नहाएगा।

वो दौर अलग था जब परवाहे दिल होता है।

मैं जानता था तू दिल तोड़कर ही सुकूँन पाएगा।

मैं जानता था मैं एक रोज तेरे पास बिखर जाऊंगा।

बस ये न जानता था कि क्या तुझे इतना चाहूंगा।

और तू कहता था न ये सितम तुझ पर भी हुआ है।

मैं जानता था तू भी एक रोज़ मुझपर ये सितम ढ़ायेगा।

❤️

#Abhiwrites❣

ज़िन्दगी के धागे सुलझाना चाहता हूँ।

किसी बिखरे हुए शख्स के पास जाना चाहता हूँ।

मेरे सीने का जो दर्द पढ़ ले,बस उसे सीने से लगाना चाहता हूँ।

बर्बादी के किस्से छोड़ आबादी के गीत गुनगुनाना चाहता हूँ।

वैसे तो खुदा पर विश्वास रहा नहीं, पर उस शख्स को ख़ुदा बनाना चाहता हूँ।

हैरत होती कभी ख़ुद को सोच कर,उसे सोच सोच अब मुस्कुराना चाहता हूँ।

बीता कल बीती बातें, सब भूलकर उसे आज दिखाना चाहता हूँ।

पढ़कर जो मुझे दिल से मुस्कुराए,

मैं उसे अपने लफ़्ज़ों में लाना चाहता हूँ।

होता है जीना मरने से मुश्किल।

बस ये बात अब दुनिया को बताना चाहता हूँ।

#Abhiwrites❣

मुझे एक यार चाहिए 

इस दिल की खबर रखने वाला एक दिलदार चहिए…..

सब छोड़ आगे निकल जाते है

कोई ऐसा जिसे मेरा साथ हर हाल चाहिए

हर मोड़ पे रंग बदलती है ये दुनिया 

ना बदलने वाला एक तलबगार चहिए

हालत खराब हो तो अपने भी पराए बन जाते है

कोई मेरी हालत बदल दे ऐसा एक यार चाहिए…

इस फरेब की दुनिया में 

अपने प्यार का यकीन दिलाने वाला यार चाहिए …

हा मुझे भी अब एक यार चाहिए..🌝💕

भोर के पहले पहर में चिड़िया जब गुंजन करें

सब समस्याओं से दो-दो हाथ कर भंजन करें

भूलिए मत युद्ध में हैं आप जीवन-क्षेत्र के

मुस्कुरायें थोड़ी सी क्षति पर ही मत क्रंदन करें

अपनी कुल अवकात से ज्यादा बड़े सपने रखें

रोज अपनी आँखों में इन सपनों का अंजन करें

भाग्य ने हिस्से में बंजर दे दिया, स्वीकार करिए

आप खेतिहर हैं, न भूलें हाथों को स्यंदन करें

शान से भूखे मरेंगे तब भी पाएंगे शहादत

आन बेंचे, इससे बेहतर यह है हम लंघन करें

याचना के स्वर न निकलें हैं, न निकलेंगे कभी

अपनी आदत ही नहीं है बेवजह वंदन करें

बाँह के सब विषधरों का भार भी महसूस करिए

आप खुद से ही कहेंगे, अब न मन चंदन करें

©® शुभम् शुक्ल ✍🏻

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