सुनो……
मैं थक गया हूं ।
तुम्हे समझते – समझते औऱ खुद को समझाते – समझाते
सुनो……
मैं थक गया हूं ।
तुम्हे समझते – समझते औऱ खुद को समझाते – समझाते ,
तुम्हारा साथ देते – देते और खूद का साथ तुम्हारी तरफ से निभाते – निभाते ।।
मैं बिखर रहा हूँ…. तुम क्यों नही ये देख पाती ।
मैं जो बोल रहा हूँ… तुम क्यों नही उसे समझ पाती ।।
कोई साथी भीड़ में चाहिए मुझे भी ।
जो साथ दे मेरा ,सही गलत बताए मुझे ।
मैं रुठुं तो मनाए मुझे ,मैं झगड़ू तो सीने से लगाए मुझे ,
मैं जो बोलू सुने मेरी खामोशी को भी वो पढ़ सके ।।
मैं थक गया हूं ।
तुम्हे समझते – समझते औऱ ख़ुद को समझाते – समझाते ।।