मैं बुरा हु यह जानते हुए भी वो मेरे साथ जिंदगी बसर करना चाहती है….
मैं बुरा हु यह जानते हुए भी वो मेरे साथ जिंदगी बसर करना चाहती है….
वाकिफ है वो मेरे तंज मेरे गुस्से से फिर भी जाने क्यों हक जताना चाहती है….
मैं दुनिया की रंगरलियों डूबा हुआ आवारा शख्स…..
वो मेरे साथ सादगी से रहना चाहती है…
मैं आंखो में खौफनाक मंज़र जुबां पे खंजर लेके घूमता हु…
वो अपने पहलू में बिठा अपनी शायरी सुना के शायर बनाना चाहती है…
मुझे अंजाम-ए-मोहब्बत से डर लगता है….
वो हिज़्र को भूल के विसाल की खुशियां मानना चाहती है…
मैं खानाबदोश बरबाद हाल बर्बादी के सिवा कुछ नहीं चाहता…
वो मुझे अपनी संगत मे रख मेरा हाल सुधारना चाहती है…!
~ Mohd_Husain