पता ही नही चलता कि यहाँ अपना कौन हैं ,
अगर सब साथ है तो फिर बदलता कौन हैं….
पता ही नही चलता कि यहाँ अपना कौन हैं ,
अगर सब साथ है तो फिर बदलता कौन हैं….
जाने वाले तो चले जाते हैं ,
फर्क इससे पड़ता हैं कि वापस पलटता कौन हैं….
अगर वो भी मेरा नही,
तो मेरा कौन है….
अगर उसने किया है वफा,
तो बेवफा कौन है….
किस खयालों में गुजर जाती हैं शाम मेरी ,
समझ नही आता दिमाग मे चलता कौन हैं….
जानना हो कि तुम्हारा भी है क्या कोई ??
तो ये देखना की तुम्हारी आँखे पढ़ता कौन हैं….
तकलीफ का दूसरा नाम हैं ज़िंदगी ,
बिना उसके यहाँ जी रहा कौन हैं….
हर बार ये जरूरी नही की तुम समझो सबको ,
अब ये समझो कि तुम्हे ज़रूरी समझता कौन हैं ….
पता ही नही चलता कि यहाँ अपना कौन हैं ,
अगर सब साथ है तो फिर बदलता कौन हैं।।।
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Pta hi nahi chalta ki yaha apna kaun hai
Agar sab sath hai to phir badalta koun hai
Jane wale to chale jate hai,
Fark itna padta hai ki wapas palat ta kaun hai
Agar wo bhi mera nahi,
To mera kaun hai
Agar usne Kiya hai wafa,
To Bewafa kaun hai
Kis khyalo me guzar jati hai shaam meri,
Samajh me nahi aata dimag me chalta kaun hai
Janna ho ki tumhara bhi hai kya koi…?
To ye dekhna ki tumhari aankhe padta kaun hai
Taklif ka dusra name hai zindagi,
Bina uske yaha jee rha kaun hai
Har baar ye jaruri nahi ki tum samjho sabko,
Ab ye samjho ki tumhe jaruri samajhta kaun hai…
Pta hi nahi chalta ki yaha apna koun hai
Agar sab sath hai to phir badalta kaun hai.