हमने इज़हार – ए – इश्क कुछ यूं किया…
हमने इश्क़ ज़रा ठहर कर किया ,
हमने चर्चे उनकी शहर भर किया ।।
हमने इज़हार – ए – इश्क कुछ यूं किया,
कहकर दिल की बात, दिल को उसके वश में किया।।
अपना इश्क़ था ऐसा , की नाराजी में बदल जाए ,
उस तरफ शाम हो , तो इधर भी दिन ढल जाए ।।
हमने इश्क़ ज़रा संभल कर किया ,
तारीफ़ भी उनकी बस पल भर किया ।
हमने तो खुशबू उनकी , पूरी महफ़िल में फैला आए,
उनकी गीत से , सारे जहां का दिल बहला आए ।।
हमने इश्क़ उनसे ही छुपा कर किया,
पर इश्क़ हुआ तो , ज़माने को बता कर किया ।।
हमने इज़हार – ए – इश्क कुछ यूं किया,
कहकर दिल की बात, दिल को उसके वश में किया।।
सच्चाई थी मेरी इश्क में, हमने उसका विश्वास किया,
जिंदगी की हर एक मुसीबतों में, हमने उसका साथ दिया।।
नहीं होती थी जब बात हमारी,
हमने हर पल उसको याद किया।।
कुछ इस तरह से हमने मुकम्मल इश्क किया,
कहकर दिल की बात, दिल को उसके वश में किया।।
हमने इज़हार – ए – इश्क कुछ यूं किया,
कहकर दिल की बात, दिल को उसके वश में किया।।