शायर जितेंद्र सुकुमार “साहिर” की कलम से…..
फिर गिराकर उठाते वो क्यों है
दोस्ती अपनी जताते क्यों है
😥😥😥
Phir gira kar uthate wo kyun hai
Dosti apni jatate kyun hai
😥😥😥
मेरे घर मे तेरा आना तो हमेशा नहीं होगा..
हर एक दिन साथ मे खाना हमेशा तो नहीं होगा
😐😐😐😐
Mere ghar me tera aana to hamesha nahi hoga…
Har ek din sath me khana hamesha to nahi hoga
😐😐😐😐
नाम लिख कर वो मिटाते क्यों है
प्यार है ज़ब तो छुपाते क्यों है
Name likh kar wo mitate kyon hai
Pyar hai jub to chhupate kyon hai
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