उसकी “typing…” पर, खुशी से उंगलियों का कांप जाना,
उसकी “new pic” को घंटो तक निहारना,
जरा सी “notification” आने पर घंटो फोन पकड़ कर बैठ जाना,
उसका नाम सुनकर धड़कनों का बढ़ जाना,
और उसका नाम सुना सुना कर दोस्तो की मन मर्जिया मनवाना,
Call आने पर बावला हो जाना,
अलाना… फलाना.. बतियाना दिल ही दिल में खिलखिलाना…
सब बदल गया ….
अब
बात करने की अनगिनत ख्वाहिशों को मन में दबाना पडता है,
Online होकर भी चीखती है लाखो खामोशियां…
कैसे हो? पूछने पर.. “thik” बताना
आगे लिख कर मिटाना , मिटा कर छिपाना,
हजारों बातो का एक पल में बेबस पड़ जाना…
दिन भर चलने वाली बातो में,
“Hmm” “ok” और “hanji” ने ले ली जगह..
मन ही मन, हर बार बात करने की अधूरी ख्वाहिश लेकर दिल का टूट जाना..
हर सुबह “gm” के मैसेज देखने के लिए उठना और उन्हें अब पहले की तरह न पाना…
दिन में 16 घंटो की बात, और अब हफ्ते गुजर जाना….