हां मुझे उससे प्यार बहुत है।
जीने के लिए मेरे ये बहार बहुत है।
उसकी खुशबू में मदहोश रहता हूँ।
उस पर इल्ज़ाम लगाने से डरता हूँ,उस बला के तरफदार बहुत है।
तुझे पाने की ख्वाइश नहीं मेरी ।
बस तू मन में बसा ले,तेरे दिल के हकदार बहुत है।
अब इश्क़ का बस सुकूँन बाकी है।
औऱ तू दूर रह कर भी मेरी मोह्हब्बत है,मेरा दिल पगाल समझदार बहुत है।
ये तो बहाने की बातें है मेरे यार।
जिसने मिलने का ठाना हो,उसके इतवार बहुत है।
#Abhiwrites❣
मैं बुरा बहुत हूँ अच्छा क्यों समझा!
मैं कड़वा बहुत हूँ, प्यारा क्यों समझा!
परिंदे उड़ा दिए तेरे पिंजरे से,मुझे नादां क्यों समझा!
मैं उजड़ता चमन हूँ, बाहरे-ए-गुलिस्तां क्यों समझा!!
मैं सिर्फ़ एक सवाल हूँ, जवाब क्यों समझा!
मैं सिर्फ मग़रूर हूँ,महताब क्यों समझा!!
मै सैलाब सा बिखरा हूँ, कगार क्यों समझा!
मै तुझसे ही जुड़ा हूँ, दरकिनार क्यों समझा!!
ज़िन्दगी मेरी बस तुझे चाहने में गुजरी!
तूने ना रोने वाला जल्लाद क्यों समझा!!
मैं तुझे जीतते जीतते,खुद से कई बार हारा हूं!
जीता हो जिसने सारा जहां वो इंसान क्यों समझा!!
तुझे ज़िन्दगी माना था,तूने जहां क्यों समझा!!
#Abhiwrites❣
आपसे बोला न जनाब, हवा आने दो
आप ही फोकटी नवाब, हवा आने दो
आप यह धौंस किसी और पर जमाइएगा
मुझसे झिलता नहीं रोआब, हवा आने दो
यह शराफत तो किराये के कोट जैसी है
हम हकीकत में हैं खराब, हवा आने दो
दुनिया के सामने रोने की मनाही मानो
पहनो हँसता हुआ नकाब, हवा आने दो
खाकी चौखट पे लोकतंत्र पड़ा है बेसुध
चीथड़ो में है इंकलाब, हवा आने दो
रोटी की भूख में भाषण का जहर मत बेंचो
भूखे ने फाड़ दी किताब, हवा आने दो
हमको प्रारब्ध या पुरूषार्थ में मत उलझाओ
हमने बंजर किए दोआब, हवा आने दो
©® शुभम् शुक्ल ✍🏻
गुजरने को गुजर जाएगी,देखता हूँ ये ज़िन्दगी कहाँ ले जाएगी
मैंने उसे कितना कहा रुक जा, बेख़बर जनता था मुझसे मुकर जाएगी।
बहारे,खुशबू,गजलें, गाने तराने सब संग देखे!
तुझमे मेरा अक्स आता है,अब बता मुझसे दूर होके तू किधर जाएगी।
होली का रंग ,दीवाली का दीया
सब गुजरे तेरे साथ मेरे हमदम,
तूने मानी नहीं मेरी बात,मैं सोचता था तू सुधर जाएगी।
रह रह कर सांस लेना चाहता हूँ अब!
तूने तो देख लिया तेरा रास्ता,न जाने कब तेरी फ़िकर जाएगी।
कैसा होगा वो प्रेम❣❕
जिसमें इज़हार एक ख़ामोशी हो।
प्यार एक समर्पण का भाव हो।
कभी प्रेम को न पाने की चाह हो,
दूर से बस निहारने की राह हो।
न कोई रिश्ता हो।
न कोई नाता हो।
बस एक सुकूँन हो, जो दोनों को समझ आता हो।
रास्ते औऱ मंजिल दोनों अलग हो!
सफ़र में बस एक दूसरे की खुशियों का नाम आता हो।
है काल्पनिक मग़र असली रूप यही है।
प्रेम का सच्चा स्वरूप यही है!
#Abhiwrites❣
साथी का क्या स्वरूप होना चाहिए!
कभी छांव सा कोमल,कभी कड़कती धूप होना चाहिए!
कभी नील सा अंबर, कभी बेरंग सा नीर होना चाहिए!
कभी गरजता बादल सा, कभी हवा सा धीर होना चाहिए!
हर साथी का ऐसा रूप होना चाहिए!
पड़े अगर वियोग में , तो भँवरे जैसा तीर होना चाहिए!
गर पड़े कभी संयोग में, तो बगुले जैसा धीर होना चाहिए!
विलासताओं का प्रेम में खून होना चाहिए,
जब जरूरत पड़े साथी का पहला हाथ होना चाहिए!
❤️
#Abhiwrites❣
तुमसे सब पूरा पूरा लगता है।
तुम बिन यहां ,सब अधूरा लगता है।
शुक्र मनाता हूँ मै हर उस शाम का,
तुम्हें जिस शाम ,अभिमंद जरूरी लगता है।
आकर इस महफ़िल में तुम खामोश हो।
अरे कम्भख्त हमें तो, तेरा मुस्कुराना अच्छा लगता है।
लहरों की बातों में खो जाता हूँ हर शाम।
हमें तो लहरों का आना जाना अच्छा लगता है।
शुक्रिया तेरा ,ये जो बचा हुआ प्यार दिया है मुझे।
हमें तो रोते रोते ,मुस्कुराना अच्छा लगता है।
तुम इश्क़ की बेपरवाही में सुकून संभालो,
हमें तो तुझे ये सूकून देना अच्छा लगता है।
ख्वाइशें चंद है बस मेरी ,गर तुम मानो।
हमें तो रूखा सूखा खाना अच्छा लगता है।
यादों से लड़ते लड़ते आया हूँ यहाँ।
हमें तो बस तुम्हें बस तुम्हे देखे जाना अच्छा लगता है।
ज़िंदगी तुम सी खूबसूरत रहे।
तुम्हारी आंखों में देखकर तुम्हें गले लगाना अच्छा लगता है।
❤️
#Abhiwrites❣