क़त्ल करने में नाकाम थे तो मुझको नज़र से गिराया गया…।। साहिर की कलम ।।

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 शायर जितेंद्र सुकुमार”साहिर” की कलम से….

   

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झूठ को सच बताया गया हम से क्या-क्या छुपाया गया


सीधा सादा समझ मुझको भी खामखा ही सताया गया


आँखों की कुछ खता ही नहीं देखा वो जो दिखाया गया


घोंटकर ख़्वाहिशों का गला ज़िंदा मुझको जलाया गया


क़त्ल करने में नाकाम थे तो नज़र से गिराया गया


पीटने से वो पहले मुझे खूब जम के हँसाया गया 

Jhuth ko sach bataya gya hamse kya kya chhupaya Gaya 


Sidha sadha samajh mujhko bhi khamkha hi sataya Gaya 


Aankho ki kuch khata hi nahi dekha wo jo dikhaya Gaya


Ghotkar khwahisho ka gala  zinda mujhko jalaya Gaya


Katl karne me nakam the to nazar se giraya Gaya


Pitne se pahle mujhe khoob jam ke hasaya Gaya

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